Wednesday, 22 October 2025

पुराण कथाएं:'दिव्य संकल्पनाएं!

पुराण कथाओं के बारे जनों कि दो सोचें है। कुछ(विशेषतः (दु:)बुद्धिवादी इसे मात्र कल्पनाएं मानते हैं, तो कुछ(अंधविश्वासी) इसे 'पूर्ण' सत्य(?) घटनाएं मानते हैं। परंतु पुराण ना ही मात्र कल्पनाएं हैं और ना ही 'सं'पूर्ण इतिहास। मेरे विचार से पुराण सच्चे समाज हितैषी ऋषियों कि 'इतिहासयुक्त' दिव्य कल्पनाएं हैं।
उदाहरण के लिए आज गुरूवार है तो दत्तजन्म कि कथा लेते है। इसमें वर्णित है कि(जो तथाकथित कथावाचक हमें समझाते है) नारद का गुणगान सुनकर देव पत्नीयों में 'अत्रि' ऋषि की पत्नी 'अनसूया' के प्रति 'असूया(मत्सर)' निर्माण हुआ और जो आगे है वो। इस कथा पे (कु)बुद्धिवादी) कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है! ये अशक्य है! तों अंधविश्वासी कहेंगे ऐसा हुआ ही है। परंतु मुझे ये महत्वपूर्ण नहीं लगता ये हुआ या नहीं हुआ। मुझे ये महत्वपूर्ण लगता है कि इसमें बोध क्या है। और ये कथा पातिव्रत 'धर्म' के 'सत्संकल्प' को स्पष्ट करती है। पातिव्रत 'धर्म' शारीरिक क्रियाओं से निगडित नहीं है। पातिव्रत 'धर्म'है पती के प्रति प्रेम, निष्ठा और विश्वास रखना। उसके 'संत्' संकल्प में सहभागी होना। उसके धर्म में 'पुरा' समर्पित होना। इसीलिए (कधा के अनुसार)अनसूया नग्न हो के भिक्षा देने के लिए तैयार होती है।
मन:पूर्वक पढ़ने के लिए धन्यवाद! जय गुरुदेव दत्त!

Friday, 10 October 2025

Bhakti: On of the greatest philosophical principle in 'BHARATIYA TATVADNYAN'!

Britishers and europeans do not have capacity to understand the BHARTIYA SANSKRITI. But unfortunately when we became indians we had became idiots also. We are seeing our DHARMA, TATVADNYAN', ADHYATMA and SANSKRITI by 'their'eye.
Now I am coming to the point. When we hear word BHAKTI, we bring fantasized stories in Puranas. But BHAKT is neither fantacy, nor fancy. Bhakti means unite with BHAGVAN, the principle from which, of which the world is. Bhakti means trying to become like your BHAGVAN (not only in outside look, but also inner principle). The 'real' BHAKTI makes you stronger, not weakens or fools. But for this you have to understand the TATVA in Puranas' philosophical stories, not to believe in fantacy in the name of SHRADDHA.
Thanks for reading and trying to understand my errored english, DHANYAWAD!

Wednesday, 9 April 2025

और कितना गिरेगा आदमी!

दूध सारा पी लीया धरती मां का
अब खून भी सारा चुसेगा क्या रे आदमी!
हवस के लिए तूं सैतान को भी 
पीछे छोड़ेगा क्या रे आदमी!
खडी करने इमारतें तूं 
कर रहा है वन और अरण्य नष्ट
दे रहा धरती मां को कष्ट 
क्यूं समझता नहीं तू!
तुझे भी एक दिन होना हैं नष्ट।
प्यारे हमारे कोंकण को
अगर करेगा नष्ट ।
जीते ही भुगतेगा जहन्नुम से कष्ट
बंद दुवाएं हमारी लेके क्यूं
कर रहा है पुण्यो को नष्ट!
सारे पापों की सज़ा
कभी तो तूं भुगतें गा रे आदमी।
दूध सारा पी लीया धरती मां का
अब खून भी सारा चुसेगा क्या रे आदमी!
मूर्तियों को पूजता है परंतु 
भगवान को जानता नहीं।
पत्नी हैं धरती मां उसकी।
ये तू समझता नहीं।।
लोभ में मार कर उसे 
कैसे जिएगा तूं आदमी!
दूध सारा पी लीया धरती मां का
अब खून भी सारा चुसेगा क्या रे आदमी!

Tuesday, 30 June 2020

(मानवकेलिए) सिर्फ शाकाहारही क्यूं!

बहुतसे पढतमुर्ख(पढे-लिखे हुये) मांसाहार न करनेवालोंपे सवाल करते है कीं क्या शाकाहारमें हिंसा(हत्या) नही होती! बेवकूफो शाकाहारमे हिंसा जरुर होती है लेकिन किसीका गला नही काटा जाता है या किसीके मानपे छुरी नही चलती है|
ये तो है मांसाहार न करनेके भावनिक‌ कारण लेकिन कई शारीरिक कारणभी है| मानवोंके आंतोकेलिए मांसाहार उपयुक्त नहीं है|  मानव ओठोंसे पानी पिते है और शेर-बिल्ली जैसे मांसाहारी पशू जिव्हासे| शेर-बिल्लीओंके बच्चे कोईभी भक्ष जीव दिखेतो उसपर खानेकेलिए झपटते है, मानवके नहीं| शेर-बिल्ली और मानवके दांतभी अलग आकारके होते है| इससे ये सिद्ध होता है मानवोंकेलिए शाकाहारहीं है, मांसाहार नही(वैसेभी मांसाहार मल होता है, जो खायेंगे, उनको सुअरका जन्म लेनाही पडेंगा।
ध्यानसे पढनेकेलिए धन्यवाद!

Thursday, 9 January 2020

दत्तावतार: आज के संदर्भ मे!

(विशेष सूचना: ये लिखाई यमहहौऔनकेवयल आस्थावान और सश्रद्ध(सत्य के प्रति निष्ठावंत) हिंदूओकेलिएही है| दुसरे पढनेका कष्ट ना करे|)
पुराणोमे एक कथा दत्तावतार की है|रथसथथथय हिंदू संस्कृती अतिथी देवो भव की है| फिरभी अनसूया सीधे कपडे नहीं उतारती, वो कुछ क्षणोंकेलिए सोचती है और फिर निर्वस्त्र होनेका मन बनाती है और उसी समय तीनों देव बच्चे बनते है|  आजभी 'अतिथी देवो भव' तो है लेकीन आजके समयमें हमें सोचना चाहिए की कही ये हमारे लिये या राष्ट्रकेलिए नुकसानकारक तो ना हो|
जय हिंद, जय गुरुदेव(दत्त)!

Tuesday, 20 August 2019

Walk, Run and Cycle(WRC)!

In these days not terrorism but materilism is the biggest threat to humanity. In this era use of vehicles is increased in geometrical proposition. So pollution is increasing tremendously. So i am giving you a mantra ie WRC(walk, run and cycle). Avoid use of vehicles to go small distance Try WRC.

Saturday, 18 August 2018

Meera or Radha, how much right!

(Tip: My motive is not acusing Radha or Meera or hurting Hindus' emmotions but making people thinking. Til i am saying sory if someone feels so. Thanks.)
I don't understand why to much importance is given to Meera or Radha in Bhagvat discourses! May those were best devotees but what is their contribution for making nation! They may be best of devotees but not good wives.In the Sanskriti which 'PATIVRATY' is the top most DHARMA and religion of a wife, singing gratness of such characters is how much right!