(विशेष सूचना: ये लिखाई यमहहौऔनकेवयल आस्थावान और सश्रद्ध(सत्य के प्रति निष्ठावंत) हिंदूओकेलिएही है| दुसरे पढनेका कष्ट ना करे|)
पुराणोमे एक कथा दत्तावतार की है|रथसथथथय हिंदू संस्कृती अतिथी देवो भव की है| फिरभी अनसूया सीधे कपडे नहीं उतारती, वो कुछ क्षणोंकेलिए सोचती है और फिर निर्वस्त्र होनेका मन बनाती है और उसी समय तीनों देव बच्चे बनते है| आजभी 'अतिथी देवो भव' तो है लेकीन आजके समयमें हमें सोचना चाहिए की कही ये हमारे लिये या राष्ट्रकेलिए नुकसानकारक तो ना हो|
जय हिंद, जय गुरुदेव(दत्त)!
Thursday, 9 January 2020
दत्तावतार: आज के संदर्भ मे!
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